साथ अपने पांच साला इंकलाब लाये हैं
रोटी की शिकायत क्या खाक करते हैं
ये तो फिरंगी जूस का सैलाब लाये हैं
आपको फुर्सत नहीं ढाई आखर पढ़ने की
ये आलमी भाईचारे का किताब लाये हैं
जुल्म-सितम की अब कभी बात न होगी
ये अमन-ओ-चैन वाला जुर्राब लाये हैं
किस्मत आप फूटी है, इन्हें क्यों कोसना
ये बूढ़ों को जवान करने का खिजाब लाये हैं
अब कहने की ज़रूरत नहीं कि ग़रीब हैं हम
साथ अपने ये दौलत बेहिसाब लाये हैं
चंद दिनों की बात है, फिर आप ही कहेंगे
इंतखाब के जरिये नया नवाब लाये हैं
रोटी की शिकायत क्या खाक करते हैं
ये तो फिरंगी जूस का सैलाब लाये हैं
आपको फुर्सत नहीं ढाई आखर पढ़ने की
ये आलमी भाईचारे का किताब लाये हैं
जुल्म-सितम की अब कभी बात न होगी
ये अमन-ओ-चैन वाला जुर्राब लाये हैं
किस्मत आप फूटी है, इन्हें क्यों कोसना
ये बूढ़ों को जवान करने का खिजाब लाये हैं
अब कहने की ज़रूरत नहीं कि ग़रीब हैं हम
साथ अपने ये दौलत बेहिसाब लाये हैं
चंद दिनों की बात है, फिर आप ही कहेंगे
इंतखाब के जरिये नया नवाब लाये हैं
5 comments:
नदीम भाई......शानदार.....लाज़वाब.....बेहतरीन........वाह-वाह........!!
aaj aapka ek aur naqab dekhne ko mila. excellent
कितने भी नवाब ले आये ये सफेद चोले वाले। लेकिन ये पब्लिक है ये सब जानती है और इसका परिचय समय समय पर देश की जनता द्वारा दिया जा रहा है। हालांकि लोगों को बेवकूफ बनाने की इनकी कोशिश पूरी तरह नाकाम नही हुई है लेकिन कम तो जरूर हो गयी। विभिन्न शहरों में अब इनका भी स्वागत जूतों, चप्पलों और लाठियों से होने लगा।
Mashallah, great thought and nice presentation. Keep it up to open slumbered eyes of "awaken" Indian citizens.
बहुत ही सुन्दर रचना!
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।
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