Sunday, April 12, 2009

इंतखाब के नवाब

देख लीजिये फिर ये जनाब आये हैं
स‌ाथ अपने पांच स‌ाला इंकलाब लाये हैं
रोटी की शिकायत क्या खाक करते हैं
ये तो फिरंगी जूस का स‌ैलाब लाये हैं
आपको फुर्सत नहीं ढाई आखर पढ़ने की
ये आलमी भाईचारे का किताब लाये हैं
जुल्म-सितम की अब कभी बात न होगी
ये अमन-ओ-चैन वाला जुर्राब लाये हैं
किस्मत आप फूटी है, इन्हें क्यों कोसना
ये बूढ़ों को जवान करने का खिजाब लाये हैं
अब कहने की ज़रूरत नहीं कि ग़रीब हैं हम
स‌ाथ अपने ये दौलत बेहिसाब लाये हैं
चंद दिनों की बात है, फिर आप ही कहेंगे
इंतखाब के जरिये नया नवाब लाये हैं

5 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

नदीम भाई......शानदार.....लाज़वाब.....बेहतरीन........वाह-वाह........!!

dharmendra said...

aaj aapka ek aur naqab dekhne ko mila. excellent

मोनिका गुप्ता said...

कितने भी नवाब ले आये ये सफेद चोले वाले। लेकिन ये पब्लिक है ये सब जानती है और इसका परिचय समय समय पर देश की जनता द्वारा दिया जा रहा है। हालांकि लोगों को बेवकूफ बनाने की इनकी कोशिश पूरी तरह नाकाम नही हुई है लेकिन कम तो जरूर हो गयी। विभिन्न शहरों में अब इनका भी स्वागत जूतों, चप्पलों और लाठियों से होने लगा।

Nayeem said...

Mashallah, great thought and nice presentation. Keep it up to open slumbered eyes of "awaken" Indian citizens.

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' said...

बहुत ही सुन्दर रचना!
आप का ब्लाग बहुत अच्छा लगा।
मैं अपने तीनों ब्लाग पर हर रविवार को
ग़ज़ल,गीत डालता हूँ,जरूर देखें।मुझे पूरा यकीन
है कि आप को ये पसंद आयेंगे।